Friday, October 28, 2005

Take Some Rest

आराम करो

आराम जिन्दगी की कुंजी, इससे न तपेदिक होती है।
आराम सुधा की एक बूंद, तन का दुबलापन खोती है।
आराम शब्द में राम छिपा जो भवबंधन को खोता है।
आराम शब्द का ग्याता तो विरला ही होता है।
इसलिए तुम्हें समझाता हूँ, मेरे अनुभव से काम करो।
ये जीवन, यौवन क्षणभंगुर, आराम करो, आराम करो।

- गोपालप्रसाद व्यास

अभी कुछ दिनों पहले यह कविता पढी, यूँ कहिए की दिल को छू गयी। अब अगर मुझ जैसे आरामपसंद इंसान को नंही तो भला किसे पसंद आयेगी। जब भी काम थोड़ा बढ जाता है तो यह कविता पढता हूँ और आराम से सो जाता हूँ। मेरी मानिये तो आप भी यही कीजिए।

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Recently, I read this hillarious poem written by "Gopalprasad Vyas". It is really very funny and everytime I read it, I am laughing out loud. It talks about the importance of "taking rest" in life and how useful it is for us. Well, it will loose all its fun and satire, if I try to translate it into english, but if you can read hindi, you should click on the image to read the whole poem.

4 comments:

OptyMyst said...

i clicked on the pic just to study the pretty script. :)

Anon said...

kanishk.....nice work with the header....u in NY??nice place

आलोक said...

गुरू, तुमने तो कड़ी पूरी कर दी, मैं पॅक से '94 में निकला, मिर्ची सेठ '98 में और तुम '02 में।
बढ़िया है!
वैसे हिन्दी में लिखना ज़्यादा मुश्किल नहीं है। जाल पर हिन्दी पढ़ते रहो तो लिखना भी आसान ही होता है।

Anonymous said...

hi..just came across ur profile..interesting 1...keep it up..happy diwali...Manisha